
नाशिक | विशेष संवाददाता
सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) एक बार फिर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में है। सिन्नर में एक सड़क निर्माण के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जहाँ आरोप है कि काम अधूरा होने के बावजूद ठेकेदार को न केवल पूरा भुगतान किया गया, बल्कि यह राशि अनुबंध की रकम से भी ज्यादा थी। इस पूरे खेल पर पर्दा डालने के लिए सूचना के अधिकार (RTI) कानून को भी ताक पर रख दिया गया।
यह मामला ‘ओझर एयरपोर्ट से सायखेडा-वावी’ तक जाने वाली सड़क के चौड़ीकरण और डामरीकरण से जुड़ा है। राष्ट्रीय रिपब्लिकन पार्टी के शिवाजी दांडगे और ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन के सुधीर तुपे द्वारा दायर की गई शिकायत के अनुसार, इस काम के लिए 3 करोड़ रुपये की प्रशासकीय मंजूरी थी, जबकि ठेका 2 करोड़ 69 लाख रुपये में दिया गया था। दस्तावेजों में यह काम केवल “बेस कोर्स पूरा हुआ” के स्तर पर दिखाया गया है, फिर भी ठेकेदार ‘एस.एस. कंस्ट्रक्शन’ को पूरे 3 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए।
जब इस गड़बड़ी की जांच के लिए शिकायतकर्ताओं ने RTI के तहत माप पुस्तिका (Measurement Book) और काम के फोटो जैसे दस्तावेज मांगे, तो PWD विभाग ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। मामला जब प्रथम अपील में गया, तो अधिकारियों ने जानबूझकर सुनवाई की तारीखें अलग-अलग रखीं। हद तो तब हो गई जब 13 अगस्त को तय सुनवाई के दिन जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी, दोनों ही ‘बीमारी’ का कारण बताकर गैरहाजिर हो गए। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि यह भ्रष्टाचार को छिपाने की एक सोची-समझी साजिश है।
इस पूरे प्रकरण को लेकर शिकायतकर्ताओं ने PWD के वरिष्ठ अधिकारियों से निम्नलिखित मांगें की हैं: की, इसमामले की तत्काल उच्च-स्तरीय जांच हो। दोषी अधिकारियों पर निलंबन और आपराधिक कार्रवाई की जाए। भ्रष्ट ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
यह मामला अब नाशिक के प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। यह देखना अहम होगा कि क्या सरकार अपने ही विभाग के इस कथित भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कदम उठाती है या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।